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वरिष्ठ कवि भारती पांडे की एक रचना.. वंदे मातरम्..

भारती पाण्डे
देहरादून, उत्तराखंड
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वंदे मातरम्
सूरज जागा, खिले सुमन दल
प्राचीर पर तिरंगा फहराया
खेत-खलिहानों में, वीथी-विजन में
चहके मधुर स्वर खग वृन्दों के
गोपुर से शंखनाद, भ्रमरों की मर्मराट
आरती निरंजन, करती अभिनंदन
मां भारती के चरणों में वंदन
अभिनंदन, वन्देमातरम्।
छाया अंधेरा, संकट घना है
हार नहीं मानेंगे सबने माना है
माटी है चंदन, अणु-कण में गुंजन
मां भारती की स्तुति-रंजन।
अभिनंदन वन्देमातरम्।
भाल-हिमालय, चरणों में सागर
हुंकार भरते पौन-नागर
पहरू निडर है अटल अनुरागी
विश्व गुरु हम बड़भागी
शरणागत के हम रक्षक
सदा बुद्ध को चाहते हम जन
अभिनंदन वन्देमातरम्।
रणबांकुरों से शत्रु दहला
विजयनाद सुन सुन सहमा
वीर सपूतों की यह धरती
शब्द-शब्द ललकार भरे हैं
शांति-शौर्य-विजय के संवाहक हम
हैं राम यहां, यहां वासुदेव नंदन
अभिनंदन वंदेमातरम्।

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