लखीमपुर खीरी मामले की जांच अब रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को सौंपी गई
लखनऊ, लखीमपुर खीरी में उपद्रव के बाद भड़की हिंसा में चार किसान सहित आठ लोगों की मौत के प्रकरण के सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एक कदम आगे बढ़ा दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बड़े मामले की जांच इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को सौंप दी है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जांच के लिए रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को नियुक्त किया है। इस जांच के लिए सरकार ने एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग बनाकर अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ जांच पूरी करने करने के लिए दो महीने का समय निर्धारित किया गया है।
लखीमपुर खीरी में बीते रविवार को उपद्रव के बाद भड़की हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसान नेताओं से वार्ता के बाद मृतकों के परिवार को 45-45 लाख रुपए की आर्थिक सहायता,पीड़ित परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी तथा मामले की जांच इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड से कराने पर सहमति जताई थी। इसी क्रम में गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को अब लखीमपुर खीरी मामले की जांच सौंपी गई है। लखीमपुर खीरी में उनकी जांच टीम का मुख्यालय होगा। इस समिति को अपनी जांच रिपोर्ट दो महीने में सरकार को सौंपनी होगी।
उधर सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी की घटना का संज्ञान लेते हुए गुरुवार को इस मामले की सुनवाई का फैसला किया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई कार्यसूची के अनुसार, चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली की तीन जजों की पीठ गुरुवार को लखीमपुर खीरी में हिंसा में मौत के कारण, शीर्षक वाले मामले की सुनवाई करेगी।
उल्लेखनीय है लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को कुछ किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के विरोध में जुलूस निकल रहे थे। एक तेज रफ्तार वाहन से चार किसान कुचल गए। इस घटना के बाद उग्र हुए लोगों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और वाहन के चालक की पीट-पीटकर हत्या कर दी। हिंसा की इस घटना में एक पत्रकार की भी जान चली गई। लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनियां कोतवाली क्षेत्र में हुई घटना में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र व अन्य के खिलाफ आइपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। किसान नेताओं ने कहा कि आशीष उन कारों में से एक में थे, जिनकी चपेट में आकर किसानों की जान गई। गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ने इन आरोपों से इन्कार किया है।