देश में कोयले का सिर्फ 4 दिन का स्टॉक; बिजली संकट से अंधेरे में डूब सकता है भारत, ठप हो सकती हैं फैक्ट्रियां
नई दिल्ली देश कोयले की कमी से जूझ रहा है। इसका देश की ऊर्जा पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि देश में वैकल्पिक ऊर्जा के विकल्प फिलहाल कम ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं। ऊर्जा की खपत या मांग को पूरा करने में कोयला अहम भूमिका अदा करते हैं। कोयले की कमी का सीधा असर बिजली उत्पादन पर पड़ सकता है। बिजली उत्पादन वाले ऐसे केंद्र जहां पर कोयले का इस्तेमाल किया जाता है वहां पर अब स्टाक काफी कम बचा है। आपको बता दें कि कोयले की वजह से बिजली संकट केवल भारत के लिए ही परेशानी खड़ी नहीं कर रहा है बल्कि चीन भी इससे दो चार हो रहा है। आलम ये है कि चीन हर कीमत में इसकी खरीद करने को तत्पर दिखाई दे रहा है। भारत की ही तरह चीन में भी ऊर्जा की जरूरत के लिए कोयले पर ही निर्भर है।
भारत की ही बात करें तो देश में उत्पादित करीब 70 फीसद बिजली कोयले से ही बनती है। एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेता मानते हैं कि देश मे कोयले की कमी नहीं है! वर्तमान समस्या की एक बड़ी वजह इसके खनन में आई है।खनन के बाद इसकी साफ-सफाई और फिर इसकी केंद्रों को विभिन्न माध्यमों के जरिए ढुलाई की जाती है। इस बार इन तीनों जगहों पर समस्या आई है। इसके अलावा बारिश का भी प्रतिकूल असर पड़ा है। कोयल का प्रबंधन भी एक बड़ी समस्या है।
इसके अलावा खनन के तरीकोंं का पुराना होना, इनका आधुनिकीकरण न हो पाना, भी एक समस्या रही है। जगह-जगह होने वाली बारिश से इसकी ढुलाई बाधित हुई है। ये किसी एक जगह नहीं बल्कि लगभग पूरे देश में देखने को मिला है। तनेता का कहना है कि देश की खदानों से निकलने वाला कोयला उच्च स्तर का नहीं होता है, जिसकी वजह से हमें कुछ कोयला बाहर से आयात भी करना होता है। उनके मुताबिक कोयले के प्रबंधन से इस समस्या से बचा जा सकता है। उनके मुताबिक देश के कुछ बिजली उत्पादित केंद्र ऐसे हैं जहां पर 3-5 दिन का ही स्टाक बचा है।
देश के करीब 135 थर्मल प्लांट्स में से करीब 100 ऐसे बताए जा रहे हैं जहां पर कोयले का स्टाक अब काफी कम है। देश के 13 प्लांट्स में करीब दो सप्ताह का स्टाक बचा हुआ है। ऐसे में कोयले की कमी से देश में बिजली संकट पैदा हो सकता है। कोयला मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक भारत में दिसंबर 2020 में 103.66 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था। ये जानकारी सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी आथरिटी के हवाले से दी गई है। हालांकि, मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस वर्ष जुलाई में कोयले का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 19.33 फीसद तक बढ़ा है। पिछले वर्ष इसी दौरान जहां 45.55 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ था वहीं जुलाई 2021 में ये उत्पादन बढ़कर 54.36 मैट्रिक टन हुआ है।
देश के ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि बिजली की कुल खपत वर्ष 2019 से 2021 में करीब 2000 करोड़ यूनिट प्रतिमाह तक बढ़ गई है। आंकड़ों के मुताबिक 2019 के मुकाबले इस वर्ष के अगस्त-सितंबर माह में कोयले की खपत भी करीब 18 फीसद तक बढ़ गई है। आपको बता दें कि देश में करीब 300 अरब टन कोयले का भंडार है। अपनी ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए भारत को इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया और अमेरिका से भी कोयले का आयात करना पड़ता है। इस दौरान कोयले की कीमत में भी काफी वृद्धि हुई है। इंडोनेशिया से ही आने वाले कोयले की कीमत करीब 60 डालर प्रतिटन से बढ़कर 200 डालर प्रति टन तक जा पहुंची है। कीमतों में आई तेजी की वजह से कोयले के आयात पर भी असर पड़ा है।