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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर से लड़ेंगे चुनाव

भाजपा प्रत्याशियों की 15 जनवरी को जारी पहली सूची के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ेंगे। राम की नगरी अयोध्या से प्रत्याशी बनाए जाने के लगभग तय हो चुके निर्णय के स्थान पर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को उनके गृह क्षेत्र गोरखपुर से प्रत्याशी बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। योगी के यहां से चुनाव लड़ने से गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर वोटों का फायदा मिलेगा ही, पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में वह प्रदेश भर के भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार कर सकेंगे।

पूरे देश में हैं योगी आदित्‍यनाथ के अनुयायी

गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में योगी आदित्यनाथ के अनुयायी तो पूरे देश में हैं, लेकिन गोरखपुर-बस्ती मंडल में उनकी खासी पकड़ है। ऐसे में गोरखपुर मंडल के चार जिलों, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर व महराजगंज की 28 सीटों और बस्ती मंडल के तीन जिले, बस्ती, संतकबीर नगर और सिद्धार्थनगर की 13 सीटों पर भाजपा को सीधा लाभ मिलेगा। बस्ती मंडल की 13 सीटें भाजपा के पास ही हैं और गोरखपुर की 28 में 24 सीटों पर उसका कब्जा है। भाजपा ने दोनों मंडलों में सभी सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और अब वह योगी के माध्यम से लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश करेगी। हर विधानसभा क्षेत्र में योगी आदित्यनाथ की जनसभा की खूब मांग रहती है। गोरखपुर-बस्ती मंडल में चुनाव छठे चरण में है, ऐसे में मुख्यमंत्री के पास हर जिले में जाने और प्रचार करने का मौका होगा।

योगी के लिए घर की तरह है गोरखपुर सदर विधानसभा की सीट

योगी के लिए गोरखपुर सदर की सीट घर की तरह है। इस क्षेत्र के मतदाताओं में उनकी अच्छी खासी पकड़ है। 1989 से लगातार भगवा ब्रिगेड का हिस्सा रही इस सीट पर योगी ने हिंदूू महासभा से डा. राधामोहन दास अग्रवाल को टिकट देकर जितवाया था। इसके बाद से डा. अग्रवाल लगातार भाजपा से विधायक चुने जा रहे हैं। आठ चुनावों से भगवा ब्रिगेड का हिस्सा है गोरखपुर सदरगोरखपुर सदर विधानसभा सीट भगवा ब्रिगेड का गढ़ मानी जाती है।

आठ चुनावों से भगवा खेमे का हिस्‍सा रही है गोरखपुर सदर सीट

अभी तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में यह सीट 10 बार भगवा खेमे में आई है। वर्ष 2002 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा की जीत छोड़ दें तो 1989 से 2017 तक हुए आठ चुनावों में सात बार भाजपा जीती है। 1989 के चुनाव में कांग्रेस के पाले से खींचकर इस सीट को भाजपा में लाने वाले शिव प्रताप शुक्ल 1996 तक लगातार चार बार जीते। 2002 में डा. राधामोहन दास अग्रवाल ने अखिल भारतीय हिंदू महासभा से जीत दर्ज की। डा. अग्रवाल 2007 से सभी चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़े और जीते। भाजपा से पूर्व भारतीय जनसंघ के यू प्रताप ने 1967 में तो 1977 में अवधेश कुमार ने इस सीट को भगवा झोली में डाला।

छह बार जीती कांग्रेस, एक बार जनता पार्टी

आजादी के बाद 1951 में हुए पहले चुनाव से लेकर 1962 के तीसरे चुनाव तक इस सीट पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कब्जा रहा। 1951 और 1957 में इस्तिफा हुसैन विधायक बने तो 1962 में नियामतुल्लाह अंसारी। 1969 में कांग्रेस के रामलाल भाई ने जनसंघ से सीट छीनी तो आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में अवधेश श्रीवास्तव जनता पार्टी से जीते। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री 1980 के चुनाव में इस सीट फिर कांग्रेस के खाते में ले आए और 1985 में भी उसे कांग्रेस के पास ही रखा। में योगी आदित्यनाथ ने हिंदू महासभा से जिताया था अपना प्रत्याशीसीएम योगी के गोरखपुर सदर से प्रत्याशी घोषित होने के बाद बढ़ी सरगर्मीसे भगवा खेमे का ही हिस्सा रही है यह विधानसभा सीट।

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