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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा- सरकार पुलिस कर्मियों के ग्रेड वेतन के मसले पर बेहद गंभीर

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश सरकार पुलिस कर्मियों के ग्रेड वेतन के मसले पर बेहद गंभीर है। इसीलिए सरकार ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसके लिए मंत्रिमंडल की उपसमिति का गठन किया है। सरकार जो भी निर्णय लेगी, राज्य के हित में लेगी। कहीं भी कुछ गलत हुआ होगा, तो उसे सही किया जाएगा।

बुधवार को सदन में उप नेता प्रतिपक्ष करण माहरा ने कार्य स्थगन प्रस्ताव (नियम 58) के तहत इस मसले को उठाया। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों को पहले 10, 16 और 26 साल की सेवा पूरी करने पर अग्रेतर ग्रेड पे दिया जाता था। इन्हें 10 साल की सेवा करने पर 2400 और 16 साल की सेवा पूरी करने पर 4600 रुपये ग्रेड पे मिलता था। छठे वेतनमान के बाद ये व्यवस्था बदल गई है।

नई व्यवस्था में अब 10, 20 और 30 वर्ष की सेवा करने पर नए ग्रेड वेतन तय किए गए हैं। इसमें 10 साल की सेवा पूरी करने पर 2400 और 20 साल की सेवा पूरी करने पर 2800 ग्रेड पे की व्यवस्था है। पुलिस में 2800 ग्रेड पे का कोई पद ही नहीं है। जो पद सृजित ही नहीं है, उसका ग्रेड वेतन कैसे दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे 700 पुलिस कर्मी प्रभावित हो रहे हैं। सरकार पर इससे बहुत अधिक व्ययभार भी नहीं पड़ रहा है। इसे देखते हुए पुरानी व्यवस्था को बहाल किया जाए।

काजी निजामुद्दीन ने कहा कि पुलिस कर्मियों ने कोरोना में बहुत अच्छा काम किया है। इन्हें प्रोत्साहन के रूप में राशि देनी चाहिए थी, लेकिन शासन ने इसे कम कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा पुलिस कर्मियों के स्वजन सड़कों पर उतरे हैं। इसमें जो भी विषमताएं हैं, उसे दूर किया जाए। सरकार की ओर से इसका जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पुलिस जिस तरह से काम कर रही है, उसका पूरा सम्मान है। यह चिंता केवल प्रतिपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष की भी है। छठे वेतन के शासनादेश में यह बदलाव किया गया है। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए इस मसले पर उप समिति बनाई है। यह मसला समिति के सामने विचाराधीन है, जिस पर जल्द निर्णय लिया जाएगा।

गलती हुई तो मिली सजा, सरकार सुधारे

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने इस मसले पर विपक्ष कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि ग्रेड वेतन को बदलने संबंधी आदेश कांग्रेस के कार्यकाल में जारी हुआ था। इतना ही नहीं, आचार संहिता के दौरान चुपचाप ये आदेश जारी किया गया था। तब नेता प्रतिपक्ष ही गृह मंत्री थे। अब विपक्ष को इसकी याद आ रही है। इस पर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि शासनादेश चार साल पहले हुआ था, तो सरकार को इतने दिनों बाद इसकी याद क्यों आई और इस गलती को सुधारने के क्या प्रयास हुए। जनता ने हमे सजा दी और हम 11 पर आ गए। अब सरकार इस मामले में क्या कर रही है।

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