संस्मरण हरीश कंडवाल मनखी की कलम से… कमबख्त कम्बल ने रात भर सोने नही दिया.. 3 years ago DTadmin हरीश कंडवाल मनखी की कलम से कमबख्त कम्बल कमबख्त कम्बल ने रात भर सोने नही…
संस्मरण साहित्य प्रतिभा की कलम से.. जितना बंगाल में, उससे रत्तीभर भी कम लोकप्रिय नहीं गुरुदेव देश.. विदेश में… 3 years ago DTadmin प्रतिभा की कलम से देहरादून, उत्तराखंड —————————————- ‘गुरुदेव’ (7 अगस्त पुण्यतिथि ) ‘टैगोर’ कोई एक…
संस्मरण नीरज नैथानी… गांव में कोई भी ऐसा न था जो इस उत्साह में शामिल न होता हो… 3 years ago DTadmin नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड- ——————————— पुराने जमाने मे पर्वतीय गांव में शादी पुराने जमाने मे…
संस्मरण नीरज नैथानी… जब गालियां देते-देते दोनों पक्ष थक जाते तो अघोषित युद्ध विराम हो जाता 3 years ago DTadmin नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड ——————————————– पर्वतीय गांवों में सुनहरी लड़ाई साथियों पिछली बार मैंने बताया…
संस्मरण नीरज नैथानी… डूरंड लाइन व मैकमोहन लाइन की तरह ही है पहाड़ों में ओडु 3 years ago DTadmin नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड ———————————— ओडु कई लोगों के लिए ओडु नया शब्द हो सकता…
संस्मरण नीरज नैथानी….. कुशला फूफू के आ जाने का मतलब था जच्चा-बच्चा की खैरियत 3 years ago DTadmin नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड मेरे गांव में बीमारियों का इलाज साथियों पिछली बार मैंने आपको…
संस्मरण नीरज नैथानी… उस जमाने में इमरजेंसी एम्बुलेंस होती थी ‘पिनस’ 3 years ago DTadmin नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड मेरे गांव की पिनस अपने गांव के संदर्भ में, मैं आपके…
संस्मरण नीरज नैथानी… मेरे गांव की गोठ 3 years ago DTadmin नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड ————————————- मेरे गांव की गोठ पहाड़ी गांवों से जब इस कदर…
संस्मरण चलो चले गांव की ओर…. दसवीं (समापन) किश्त… बोडी पर देवता अवतरित हो गया, उन्ने जोर से किलक्कताल मारी… आदेश…! 3 years ago DTadmin नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड चलो चले गांव की ओर…गतांक से आगे.. दसवीं (समापन) किश्त आज…
संस्मरण चलो चले गांव की ओर… नौवीं किश्त.. मैंने कह दिया, बोगट्या वोगट्या तो नहीं पर रोट कटेगा 3 years ago DTadmin नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड चलो चले गांव की ओर…. गतांक से आगे… नौवीं किश्त.. समापन…