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युवा कवि धर्मेंद्र उनियाल ‘धर्मी’ की गढ़वाली कविता… यू कोराना कू काल छ

धर्मेंद्र उनियाल ‘धर्मी’ चीफ़ फार्मासिस्ट, अल्मोड़ा ————————————- यू कोराना कू काल छ, फूटियूं सबूकू कपाल…

नीरज नैथानी… जब गालियां देते-देते दोनों पक्ष थक जाते तो अघोषित युद्ध विराम हो जाता

नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड ——————————————– पर्वतीय गांवों में सुनहरी लड़ाई साथियों पिछली बार मैंने बताया…