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किसी वस्तु की प्राप्ति पर न अभिमान हो और न छूटने पर दुःख… यही तो योग है…

भगवद चिन्तन योगस्थ: कुरुकर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय सिद्धय सिद्धयो:समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते! हमारे व्यवहारिक…