मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास नवनिर्मित एसडीआरएफ मुख्यालय व अग्निशमन केन्र्द का लोकार्पण किया
News by- ध्यानी टाइम्स रवि ध्यानी
देहरादून-:मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास नवनिर्मित एसडीआरएफ मुख्यालय व अग्निशमन केन्र्द का लोकार्पण किया।भवन लोकर्पण के दौरान क्षेत्रीय सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और विधायक ब्रजभूषण गैरोला भी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि साल 2013 में केदारनाथ में आई भयंकर आपदा में सेना ने लोगों को रेस्क्यू कर देहरादून एयरपोर्ट पहुँचाया था।उस समय देहरादून एयरपोर्ट से ही पूरा रेस्क्यू ऑपरेशन संचालित किया गया था।इस दौरान प्रदेश सरकार द्वारा एसडीआरएफ का गठन किया गया था।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस शुभ मुहूर्त पर नवनिर्मित एसडीआरएफ ट्रेनिग सेंटर और वाहिनी मुख्यालय के लोकर्पण की सभी को बधाई देता हूं।उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ विश्व बैंक कोसी परियोजना के अंर्तगत लगभग 144 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हुआ है।मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ के जवानों व अधिकारियों के अदम्य साहस वीरता,सेवा, और समर्पण जो स्वयं की जिंदगी को दांव पर लगाकर दूसरों को बचाने का काम करते है,उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।उन्होंने आगे कहा एसडीआरएफ विषम परिस्थितियों में भी साहस और परिक्रम का परिचय देते है।व अन्य राज्यों में भी सेवा के रूप में उदाहरण सबके सामने रखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश व प्रदेश में कंही भी आपदा आती है तो सबसे पहले मोर्चा पुलिस के जवान व एसडीआरएफ सम्भालती है।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों में काम करने वाली एसडीआरएफ द्वारा 11 हज़ार फ़ीट से अधिक ऊँचाई पर किए जाने वाले रेस्क्यू कार्यों के लिए अधिकारियों को पन्द्रह सौ रुपए व कर्मचारियों को एक हज़ार रुपये प्रतिदिन भत्ता देने की घोषणा की।साथ ही उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाये जाने के उद्देश्य से भी एसडीआरएफ की एक और कंपनी गठित की जाएगी।जिसमें प्राथमिकता के आधार पर एक तिहाई हिस्सा महिला कार्मिकों की नियुक्ति की जाएगी।
लोकर्पण कार्यक्रम में दौरान डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि एसडीआरएफ का गठन केदारनाथ में आई आपदा के बाद हुआ था।और आज लगभग एसडीआरएफ को दस साल पूरे होने वाले है।इस दसवें वर्ष में एसडीआरएफ का मुख्यालय बनकर तैयार हुआ है।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ वर्ष 2013 से ही काम कर रही है।केदारनाथ के पुननिर्माण में व यात्रा संचालन में भी एसडीआरएफ का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
उन्होंने कहा शुरू में एसडीआरएफ में दो कम्पनियां थी जिसमें लगभग एक कंपनी में 100 आदमी थे।आज ये कंपनियां बढ़कर पांच हो गयी है तथा इन कंपनियों को जल पुलिस के साथ मिलाकर प्रदेश भर में 41 जगहों पर स्थापित किया है।एसडीआरएफ नार्मल आपदा जैसे कि लैंडस्लाइड,पानी मे डूबना,सीपीआर की क्षमता,इन सारी क्षमताओं के साथ पिछले दस सालों में एसडीआरएफ बल को प्रशिक्षित किया गया है।इसके अलावा भी बल द्वारा छोटी आपदाओं जो कि रोजमर्रा के जीवन मे होती है जैसे सड़क दुर्घटना होना,किसी व्यक्ति का पानी मे डूबना,सुसाइड करना, या और भी दूसरी यात्राएँ कावंड़, कुंभ, मानसरोवर यात्रा, नंदा राजजात यात्रा में भी एसडीआरएफ ने अपना बेहतर प्रदर्शन किया है।
एसडीआरएफ के गठन के पश्चात से अभी तक एसडीआरएफ द्वारा तीन हजार से अधिक रेस्क्यू आपरेशनों में करीब 12 हजार से अधिक घायलों का सफल रेस्क्यू किया गया है।इसके साथ ही विषम परिस्थितियों में भी 2 हजार से ज्यादा शवो को भी रिकवर किया गया है।