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विधानसभा चुनाव से पहले कोयले की किल्लत के चलते यूपी की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने के लिए राज्य सरकार 10 हजार करोड़ रुपये करेगी

लखनऊ विधानसभा चुनाव से पहले कोयले की किल्लत के चलते उत्तर प्रदेश की पटरी से उतरी बिजली आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने के लिए राज्य सरकार 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। कोयले के साथ ही एनटीपीसी के बकाए की अदायगी करने के साथ ही इससे पर्याप्त बिजली भी इनर्जी एक्सचेंज से खरीदी जाएगी। सरकार की कोशिश है कि प्रदेशवासियों को बिजली की अतिरिक्त कटौती से न जूझना पड़े। सभी को शाम छह बजे से सुबह सात बजे के साथ ही पहले की तरह तय शेड्यूल के मुताबिक बिजली मिलती रहे।

दरअसल, 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज में डूबे पावर कारपोरेशन के सामने गंभीर वित्तीय संकट है। कारपोरेशन प्रबंधन जहां कोयले का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है वहीं एनटीपीसी आदि द्वारा आपूर्ति की गई बिजली का भी बकाया समय से नहीं दे पा रहा है। ऐसे में कोयले के संकट के चलते बिजली की उपलब्धता घटने पर कारपोरेशन प्रबंधन इनर्जी एक्सचेंज की 20 रुपये यूनिट तक बिजली खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। इससे प्रदेशवासियों को अतिरिक्त बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है।

चूंकि विधानसभा के आम चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं है इसलिए सरकार अधाधुंध बिजली कटौती से प्रदेशवासियों को नाराज नहीं करना चाहती है। गांव से लेकर कस्बों तक नौ घंटे तक की बिजली कटौती की स्थिति को देखते हुए सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक की। मुख्यमंत्री ने जहां शाम छह बजे से सुबह सात बजे तक प्रदेशभर को बिजली कटौती से मुक्त रखने के निर्देश दिए वहीं शेड्यूल के मुताबिक सभी को बिजली सुनिश्चित करने की भी हिदायत दी है। इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये भी देने का निर्णय किया गया, इसमें से उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा अपने बिजली घरों के लिए खरीदे गए कोयले का ही 1540 करोड़ रुपये का पुराना भुगतान किया जाएगा।

वैसे तो बिजली खरीदने का लगभग 27 हजार करोड़ रुपये का बकाया है लेकिन उसमें से अभी जरूरी भुगतान भी इसी से किया जाएगा। बकाया बढ़ने पर चूंकि एनटीपीसी पहले ही बिजली आपूर्ति ठप करने की चेतावनी दे चुका है, इसलिए उसे एक हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। उत्पादन निगम व अन्य निजी बिजली घरों का भी कुछ भुगतान किया जाएगा ताकि बिजली मिलती रहे।

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना है कि प्रदेशवासियों को तय शेड्यूल के अनुसार बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गांव को जहां 18 घंटे वहीं तहसील को 21.30 घंटे व बुंदेलखंड को 20 घंटे बिजली आपूर्ति का शेड्यूल है। शहर और उद्योग बिजली कटौती से मुक्त हैं।

एक्सचेंज से 20 करोड़ की खरीदी गई मंहगी बिजली : प्रदेशवासियों को शेड्यूल के मुताबिक बिजली देने के लिए पावर कारपोरेशन ने 20 करोड़ रुपये से इनर्जी एक्सचेंज से औसतन 16.50 रुपये प्रति यूनिट की बिजली खरीदी है। कारपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने बताया कि कोयले की दिक्कत के चलते पर्याप्त बिजली की उपलब्धता न होने पर एक्सचेंज से बिजली खरीदी जा रही है ताकि शेड्यूल से सभी को बिजली मिल सके। बिजली संकट की मौजूदा स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि कुछ राज्य इस आपदा में अवसर तलाशते हुए मुनाफाखोरी में लगे हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए ऊर्जा कानून में बदलाव की जरूरत है।

कोयले की कमी से 1715 मेगावाट उत्पादन ठप : कोयले की कमी से राज्य में अभी भी 1715 मेगावाट बिजली का उत्पादन ठप है। इसमें विद्युत उत्पादन निगम की हरदुआगंज, पारीछा, अनपरा व ओबरा का ही 950 मेगावाट उत्पादन बंद है। प्रतिदिन 79 हजार टन कोयला खपत वाले इन बिजली घरों के पास एक से दो दिन का ही कोयला है। कोयले को लेकर निगम के प्रबंध निदेशक पी गुरुप्रसाद मंगलवार को केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार से भी नई दिल्ली में मिले। ऊर्जा सचिव ने उन्हें आश्वस्त किया कि एक-दो दिन में यूपी को कोयला उपलब्ध करा दिया जाएगा।

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