उत्तराखंड में सात सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में कार्यरत 89 संविदा शिक्षकों पर संकट टला
देहरादून। राज्य के सात सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में कार्यरत 89 संविदा शिक्षकों पर संकट टल गया। हालांकि यह संकट सिर्फ छह महीने के लिए टला है। 31 मार्च, 2022 के बाद इन शिक्षकों के रोजगार पर फिर तलवार लटक सकता है। दरअसल, राज्य के सात सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों को अप्रैल, 2017 में केंद्र सहायतित तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना (टीईक्यूआइपी) के तीसरे चरण में शामिल किया गया था। इस परियोजना के तहत इन कालेजों में कुल 146 सहायक प्रोफेसर के पद उपलब्ध कराए गए थे। वर्तमान में इनमें से 89 सहायक प्रोफेसर विभिन्न कालेजों में कार्यरत हैं। परियोजना के अंतर्गत इन शिक्षकों को संविदा पर 70 हजार रुपये प्रति माह के समेकित वेतन और तीन फीसद प्रदर्शन आधारित वेतन वृद्धि के प्रविधान के साथ भर्ती किया गया था।
परियोजना अवधि में संविदा शिक्षकों के साथ किया गया अनुबंध गत 30 सितंबर को समाप्त हो चुका है। इस वजह से इन शिक्षकों के रोजगार पर संकट आ चुका है। फिलहाल सरकार ने इन शिक्षकों के सेवाकाल को छह माह यानी एक अक्टूबर से 31 मार्च तक बढ़ा दिया है। इस अवधि में उनके वेतन पर आने वाला करीब 3.83 करोड़ का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। इंजीनियरिंग कालेज अपने खर्च पर यह वित्तीय भार उठाने में सक्षम नहीं हैं। इस वजह से सरकार ने यह जिम्मा उठाया है।
तकनीकी शिक्षा अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का कहना है कि इंजीनियरिंग कालेजों में पढ़ाई सुचारू रखने को इन शिक्षकों का अनुबंध बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा गया है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कालेजों में सहायक प्रोफेसर के कुल 192 पद रिक्त हैं। अनुभवी शिक्षकों की सेवाएं जारी रहने से छात्रों को पठन-पाठन में असुविधा नहीं उठानी पड़ेगी। उधर, सरकार के इस कदम से शिक्षकों को छह माह के लिए राहत मिल गई है। इसके बाद उनके रोजगार पर भी दोबारा संकट मंडराना तय है।
ये हैं सात सरकारी इंजीनियरिंग कालेज:
- कालेज, संविदा शिक्षक
- बीटीकेआइटी द्वाराहाट अल्मोड़ा 32
- सीओटी पंतनगर (ऊधमसिंहनगर), 15
- जीबीपीआइइटी घुड़दौड़ी (पौड़ी), 02
- आइओटी गोपेश्वर, (चमोली), 12
- एनपीएसईआइ, (पिथौरागढ़), 08
- डब्ल्यूआइटी (देहरादून), 13
- टीएचडीसी-आइएचईटी, (टिहरी), 07