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आंचलिकता को मजबूत करना ही श्रीदेव सुमन को सच्ची श्रद्धांजलि: बीर सिंह

-अमर शहीद श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर टिहरी बांध विस्थापितो ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर पहाड़ के पहाड़ से प्रश्नों पर भी विमर्श किया गया।

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। अमर शहीद श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर टिहरी मूल विस्थापित संघर्ष समिति की ओर से सामुदायिक केंद्र टी एस्टेट बंजारावाला देहरादून में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। अमर शहीद श्रीदेव सुमन को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही पहाड़ की समस्याओं पर विमर्श किया गया। पहाड़ी प्रजा मंडल के अध्यक्ष बीर सिंह पवार ने कहा कि बलिदानी श्रीदेव सुमन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम अपनी आंचलिकता को मजबूत करें। अपनी बोली, भाषा, सिनेमा व संस्कृति को निरंतर मजबूत करें। दूसरे शहरों में जाकर नौकरी करने के बजाय उत्तराखंड में ही रहकर स्वरोजगार को प्राथमिकता दें।

समिति अध्यक्ष राजेंद्र सिंह असवाल ने श्रीदेव सुमन को स्मरण करते हुए कहा कि राज्य बनने के कितने वर्षों बाद भी श्रीदेव सुमन के विचारों के अनुरूप उत्तराखंड नहीं बन पाया। बल्कि, यहां के निवासियों का निरंतर पलायन इस सीमांत क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। जिस पर आयोग भी बने, बात भी हुई। लेकिन, सरकारे यहां के मूल निवासी को शिक्षा व चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाई।

वरिष्ठ पत्रकार राजीव उनियाल ने शहीद श्रीदेव सुमन के भारत की आजादी व टिहरी क्षेत्र को सामंतशाही से आजादी दिलाने के योगदान को याद करते हुए कहा कि यह उन्हीं की पीढ़ी के संघर्ष और बलिदान के कारण हो पाया कि हम आजादी की सांस ले पाए वरना राजशाही ने तो प्रजा के लिए शिक्षा तक के द्वार बंद कर रखे थे। शिक्षा के लिए उनकी पीढ़ी को बनारस, ऋषिकेश, हरिद्वार और लाहौर तक जाना पड़ा। राजशाही में जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी प्रजा को संघर्ष करना पड़ता था। उत्तराखंड के संदर्भ में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि हमने राज्य बनाने के लिए संघर्ष किया सफल भी हुए। लेकिन, राज्य को चलाने की जिम्मेदारी आंदोलनकारियों ने नहीं ली, नतीजा सबके सामने है कि राज्य बनने के 21 वर्ष बाद भी हमें भू-कानून के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए पत्रकार गिरिराज उनियाल ने श्रीदेव सुमन के जीवन व उनके संघर्ष से जुड़े संस्मरण साझा किए। कार्यक्रम को वीरेंद्र दत्त पैन्यूली व गणेश उनियाल ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर समिति के सचिव राजेंद्र सिंह राणा, हरीश उनियाल, राजेंद्र चौहान, विनोद रावत, कुलदीप पवार, जगदीश, निर्मल जगूड़ी, जगदंबा नौटियाल, अनुराग पंत, कलम सिंह मियां, नवीन नौटियाल, प्रसन्न लखेड़ा, उमा पवार, मंजू रमोला आदि मौजूद रहे।

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