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नीलम पांडेय नील… नकारात्मक प्रवृति के लोगों को दूर रखें या स्वयं उनसे दूर हो जाएं

नीलम पांडेय नील
देहरादून, उत्तराखंड
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सहज ध्यान की प्राप्ति के लिए एक बात यह भी जरूरी है कि अपने आसपास से नकारात्मक प्रवृति के लोगों को दूर रखें या जो हमारे लिए अच्छी भावना ही नहीं रखते उनको पहचान कर स्वयं उनसे दूर हो जाएं अन्यथा मन की सहजता, एकाग्रता बाधित होती है। क्योंकि जो हमारे नहीं होते हैं, वो लाख कोशिश के बाद भी हमारे नहीं रहते हैं। चाहे उनसे हमारे नजदीकी संबंध हों। उनके मन में जमी खलिश को हमारे मान मनुहार से कोई फायदा नहीं होता है। कभी-कभी हम ऐसे रिश्तों के लिए अपने जीवन के उन पलों, सालों को बर्बाद कर देते हैं जो हमारे लिए बेहद कीमती हो सकते थे। हम उनकी अपेक्षाएं पूरी करने के लिए पूरा जोर लगा देते हैं, लेकिन फिर हमको पता चलता हैं हम अब भी उनकी नजर में नकारे ही हैं, मूर्ख हैं। वे अपने तानों की गाहेबगाहे सौगात तो दे देते हैं किन्तु प्रेम से कभी सर पर हाथ नहीं फिरा सकते। वे पूर्वाग्रहों से ग्रसित हैं उनकी मानसिकता बदलने में समय व्यर्थ नही करना चाहिए ।

एक दिन इन रिश्तों की उदासी, अपमानजनक व्यवहार, नकारात्मक दृष्टिकोण, पीठ पीछे आलोचना से खिन्न होकर हम खुद को पीछे खींचने लगते हैं लेकिन, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हमारे अंदर खुद की रचनात्मकता पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ चुका होता है। उस वक्त हम पाते हैं कि हमारी मौलिकता हमसे दूर जा चुकी होती है। हम वो रहते ही नहीं जो हमको होना चाहिए था।

खैर… वो समय वापस नहीं आता है। धीरे-धीरे जब हम अपने कदम अपनी दिशा में बढ़ाना शुरू कर देते हैं तो एक दिन हम पाते हैं कि वक़्त स्वयं हमको कई नए रिश्ते देने लगता है। ये जो रिश्ते सहज रूप से आपसे जुड़ते हैं वे आपके ही होते हैं। वे जो हमारी खामोशी को पढ़ने लगते हैं। वे जो गुस्से से आपके कान उमेठ कर तत्क्षण गले लगा लेते हैं। सच कहें रिश्ते तभी अच्छे लगते हैं जब वे मित्रवत व्यवहार करते हों। औपचारिक रिश्तों का कोई वजूद नहीं होता है इनके साथ होने से अच्छा हम अकेले अच्छे होते हैं। चाय नाश्ता सबके घर में मिलता है लेकिन, अपनत्व सबके पास नहीं होता है।

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