Mon. Dec 23rd, 2024

चलो चले गांव की ओर….. तीसरी किश्त… टुर्रा चिल्लाया, बौत बने हैं आज गांव वाले

नीरज नैथानी
रुड़की, उत्तराखंड
—————————————

चलो चले गांव की ओर…….गतांक से आगे….. तीसरी किश्त

कल शाम को खाना खाने के बाद सारे गांव वाले मंदिर प्रांगण में बैठे गपशप मार रहे थे। पास में पीपल के पेड़ की शाखाएं हवा में लहरा रही थीं। खुशनुमा हवा के झोकों से तन-मन प्रफुल्लित हो रहा था। बच्चे आंगन में खेल-कूद कर रहे थे। गांव तो भई गांव है, देहरादूनी काका ने मस्ती भरी अंगड़ाई लेते हुए कहा।

प्रदूषण भरे शहरों में ऐसी शुद्ध हवा कहां मिलती है, गर्मी में दम घुटता है दिल्ली वालों ने व्यथा प्रकट की। तभी निचले चौक में हल्ला सुनाई दिया।कोई जोर-जोर से चिल्लाकर हुड़दंग कर रहा था।

कौन है? अरे ये टुर्रा है बोडी का, कच्ची पीकर आया होगा नेपालियों के यहां, इसका रोज का यही धंधा है।

बिथ्याणी बोडी का पैंतीस वर्षीय लड़का टुर्रा बेरोजगार था। पिता बचपन में ही गुजर गए थे। बोडी ने दूध बेचकर पाला-पोसा, बड़ा किया।लेकिन, एक बार लाइन से बेलाइन हुआ तो फिर सुधरा नहीं टुर्रा। रात के अंधेरे में टुर्रा शराब के नशे में कोहराम मचाए था। बौत बने हैं आज गांव वाले….. अबे शहरों में गर्मी से परेशान हुए तो गांव चले आए घूमने……। मैं जानता हूं ये तुम्हारे लिए गांव नहीं है केवल सैरगाह है…… सैरगाह… तुम और तुम्हारे बच्चे तफरी करने आते हैं यहां…..। तुम्हारे घर परिवार में दुख परेशानी हुयी तो आज गांव के देवता याद आए…..। बौत लाड़ प्यार दिखा रै हो अपनों पर….। दो दिन रह कर शहर लौट जाओगे, वहां की चकाचौंध में गांव वाले याद नी आएंगे…..।

यहां हमारे घर के गरीब बच्चों को अपने पुराने कपड़े बांटकर दरियादिली दिखाने की जरूरत नहीं है। बौत बनते हैं बड़े आदमी। हल्ला- गुल्ला करता टुर्रा अब गाली-गलौज पर उतर आया था। गांव के ही दो-चार भाई उसे चुप कराने के लिए जाने लगे तो बुजुर्गों ने टोका, रैने दो। अभी कुछ देर तक नशा रहेगा चिल्लाने दो, फिर ठंडा होते ही लुढ़क जाएगा, हम तो इसका ड्रामा रोज ही झेलते हैं।

नत्था भी पीकर ऐसे ही घपला करता है। नत्था नरू काका का बड़ा लड़का है। हम उम्र होने के बावजूद वह गांव के रिश्ते में टुर्रा का चाचा लगता है।दोनो चचा-भतीजे की रंगा-बिल्ला की जोड़ी है। दिनभर ताश खेलना, इधर-उधर भटकना, शाम को नेपालियों की झोपड़ी में जाकर कच्ची पीना फिर गांव में आकर हंगामा काटना इन दोनों की यही जिंदगी है।

पटवारी चौकी में शिकायत करो इनकी, गांव का माहौल बिगाड़ रखा है इन्होंने, किसी ने सुझाया। पुलिस के चार डण्डे पड़ते ही तमाशा करना भूल जाएंगे।कोतवाली थाना जाकर कौन सुधरा है आज तक। अरे शिकायत करने के बजाय इन्हें किसी काम धंधे में उलझा दो। खाली दिमाग शैतान का घर, एक ने सहानुभूति प्रकट करते हुए सलाह दी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *