Wed. Feb 26th, 2025

उत्तराखंड केबिनेट की बड़ी बैठक ,उत्तराखंड कैबिनेट ने राज्य में नए भू-कानून को मंजूरी दे दी है.

News by – ध्यानी टाइम्स

उत्तराखंड के बजट सत्र-2025 की शुरुआत हो चुकी है. राज्यपाल के अभिभाषण पर विधानसभा अध्यक्ष के पारण के बाद पहले दिन की सदन की कार्यवाही स्थगित हो गई थी. आज बुधवार को विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही से पहले धामी कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हो हुए.

उत्तराखंड कैबिनेट ने राज्य में नए भू-कानून को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर जानकारी दी है. सरकार ने इस बजट सत्र में पेश करने का फैसला लिया है, जिससे विधिवत रूप से इसे लागू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.

सीएम ने पोस्ट में लिखा कि प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है. यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

उन्होंने आगे लिखा हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे. इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. निश्चित तौर पर यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा.

क्या है नए भू-कानून की खासियत?

कैबिनेट की तरफ से स्वीकृत इस भू कानून के तहत बाहरी व्यक्तियों की तरफ से राज्य में जमीन खरीदने पर कुछ सख्त प्रावधान किए गए हैं. इसमें हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, जिससे बाहरी निवेशकों पर अनियंत्रित भूमि खरीद पर रोक लगे और स्थानीय लोगों के हित सुरक्षित रहें. ताकि बाहरी व्यक्तियों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने और स्थानीय आबादी को विस्थापित होने से रोका जा सके.

इसके तहत बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा 12.5 एकड़ को खत्म कर उसकी परमिशन जिलाधिकारी स्तर से देने का प्रावधान किया गया.

तहसील स्तर पर मांगे गए थे सुझाव

नए भू-कानून को लेकर प्रदेश में तहसील स्तर पर आमजन, प्रबुद्धजन एवं विभिन्न संस्थाओं से सुझाव लिए गए थे. इन सुझावों के आधार पर नया कानून की रूपरेखा निर्धारित की गई है. भू-कानून के प्रावधानों को कड़ा बनाते हुए यह ध्यान भी रखा जाएगा कि उद्योगों और नए निवेशकों में भय का वातावरण न रहे.

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