MMA मुकाबला जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष पहलवान बने संग्राम सिंह
संग्राम सिंह ने पाकिस्तानी अंतरराष्ट्रीय फाइटर अली रजा निसार को केवल 1 मिनट और 30 सेकंड में सबमिशन के जरिए हराया.
News by – ध्यानी टाइम्स
बहुमुखी प्रतिभा के धनी भारतीय खिलाड़ी संग्राम सिंह ने एक बार फिर अपने देश को गौरवान्वित किया है. उन्होंने जॉर्जिया के त्बिलिसी में गामा इंटरनेशनल फाइटिंग चैंपियनशिप में अपने पहले एमएमए मुकाबले में महत्वपूर्ण जीत हासिल कर ये बता दिया है कि भारत की मिट्टी से बना ये लाल जब मैदान में खेल के लिए उतरता है तब एक योध्या बनकर अपने प्रतिद्वंद्वी को चारों खाने चित्त कर देता है.
संग्राम सिंह ने पाकिस्तानी अंतरराष्ट्रीय फाइटर अली रजा निसार को केवल 1 मिनट और 30 सेकंड में सबमिशन के जरिए हराया. इसके साथ ही संग्राम एमएमए मुकाबला जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष पहलवान बना गए हैं. पर्सनल लाइफ की बात करें तो संग्राम ने 2022 में शादी की.
अपने उल्लेखनीय करियर के लिए पहचाने जाने वाले संग्राम कॉमनवेल्थ हैवीवेट कुश्ती चैंपियनशिप में रहे हैं और उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उनकी पिछली जीतों में विश्व पेशेवर कुश्ती में कई जीत और प्रशंसाए शामिल हैं. उनकी कुश्ती यात्रा और भी प्रेरणादायक है क्योंकि उन्होंने अपनी युवावस्था में गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों पर काबू पाया. इसमें रुमेटॉइड गठिया भी शामिल है इसके कारण उन्हें एक बार व्हीलचेयर पर रहना पड़ा था. उनकी रिकवरी और चैंपियन पहलवान बनने का सफर उनके लचीलेपन और दृढ़ संकल्प की असाधारण भावना को दर्शाता है.
संग्रम सिंह ने बढ़ाया देश का मान
रिंग में अपने कौशल से परे संग्राम सिंह को फिटनेस और स्वास्थ्य में उनके योगदान के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है. वह फिट इंडिया आइकन* के रूप में काम करते हैं जो सरकार के प्रमुख फिट इंडिया मूवमेंट का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां वे लाखों लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं. इसके अलावा वे विकसित भारत और स्वच्छ भारत जैसे अभियानों के ब्रांड एंबेसडर हैं जो भारत के युवाओं के लिए एक रोल मॉडल के रूप में उनकी स्थिति को और मजबूत करता है.
अपनी हालिया MMA जीत पर विचार करते हुए संग्राम ने विनम्रतापूर्वक कहा, “जीतना केवल अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने के बारे में नहीं है. यह अपनी खुद की सीमाओं को पार करने के बारे में है. जब आपके पास दृढ़ संकल्प और सफल होने की इच्छा होती है तो उम्र केवल एक संख्या होती है.” 40 साल की उम्र में संग्राम 93 किलोग्राम वर्ग में 17 साल छोटे प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ खेल रहे थे, जिसने दिखाया कि अनुभव और मानसिक दृढ़ता युवावस्था और ताकत पर विजय प्राप्त कर सकती है.
जैसे-जैसे वह नई ऊंचाइयों को छूते जा रहे हैं संग्राम सिंह प्रेरणा का एक स्थायी स्रोत बने हुए हैं. विश्व मंच पर भारत को गौरव दिलाने तक की उनकी यात्रा दुनिया भर के महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए दृढ़ता और समर्पण का एक शानदार उदाहरण है.