बीजेपी नेता व पूर्व राज्यमंत्री विवेकानंद खंडूरी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र प्रेषित कर अशासकीय महाविद्यालयों की संबद्धता एचएनबी गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी से यथावत रखने की मांग की है।
News by- ध्यानी टाइम्स रवि ध्यानी
भारतीय जनता पार्टी नेता एवं पूर्व दर्जाधारी विवेकानंद खंडूरी ने शिक्षा मंत्री भारत सरकार, नई दिल्ली को पत्र प्रेषित किया है। शिक्षा मंत्री को प्रेषित पत्र में देहरादून, गढ़वाल और हरिद्वार के दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों की संबद्धता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल से यथावत रखने की मांग की गई है।
विवेकानंद खंडूरी ने शिक्षा मंत्री को अवगत कराया कि, यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने देहरादून के ख्यातिप्राप्त डीएवी पीजी कॉलेज, डीबीएस कालेज, श्री गुरु राम राय डिग्री कॉलेज , एमकेपी कालेज, डीडब्ल्यूटी कॉलेज, एमपीजी कॉलेज मसूरी, पौड़ी गढ़वाल का पैठाणी डिग्री कॉलेज, हरिद्वार सतीकुंड कालेज और बीएसएम कॉलेज रुड़की के दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों की संबद्धता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल से शैक्षणिक सत्र 2023-2024 से समाप्त कर दी है। तथा इन सभी कॉलेजों को श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्धता लेने के आदेश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि, असंबद्ध किए गए कुछ महाविद्यालयों का इन्फ्रास्ट्रक्चर श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी के इन्फ्रास्ट्रक्चर से भी ज्यादा है। इसके अलावा श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी में लॉ फैकेल्टी और अन्य कई फैकल्टीज नहीं हैं।
यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल का यह निर्णय, उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड द्वारा 16 नवंबर 2021 को पारित आदेश का उल्लघंन एवं अवमानना है। इस आदेश के तहत उच्च न्यायालय ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी द्वारा तय की गई महाविद्यालयों को असंबद्ध करने की पूरी प्रक्रिया को अमान्य कर दिया था। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश पारित किया है महाविद्यालयों की संबद्धता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के साथ यथावत रहेगी।
(श्री खंडूरी ने यह भी बताया की)
देहरादून को एजुकेशन हब कहा जाता है. यहां कई नामी-गिरामी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी मौजूद हैं. देश की कई दिग्गज हस्तियों ने देहरादून से ही पढ़ाई की है. देहरादून का डीएवी (पीजी) कॉलेज इसी कड़ी में एक बड़ा नाम है. इसकी स्थापना ब्रिटिश काल में हुई थी. दो देशों के प्रधानमंत्री, मंत्री, सेना के अफसर और हिमालय की चोटी फतह करने वाली बछेंद्री पाल का नाम सामने आता है. आज भी इस कॉलेज में उत्तराखंड के अलावा कई बाहरी राज्यों के युवा पढ़ाई करने आते हैं.
// //बता दें कि डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून में कई नामचीन हस्तियों ने शिक्षा हासिल की है. यहां से पढ़े-लिखों की गिनती करें तो सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के लोग भी यहां से पढ़ाई कर चुके हैं. इनमें मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम (Former Prime Minister of Mauritius Seewoosagur Ramgoolam) और नेपाल के चार बार पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद (former Nepal Prime Minister Lokendra Bahadur Chand) का नाम प्रमुख है.
देश की बात करें तो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemwati Nandan Bahuguna), भारत सरकार के पूर्व मंत्री महावीर त्यागी, ब्रह्मदत्त, पूर्व भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन चंद्र जोशी, एवरेस्ट पर कदम रखने वाली पहली महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल (Indian mountaineer Bachendri Pal), वैज्ञानिक डॉ. फारुख शेख जैसे अनगिनत लोगों ने इसी संस्थान से शिक्षा हासिल की है.
श्री खंडूरी ने बताया की उच्च न्यायालय द्वारा असंबद्धता के संदर्भ में यह आदेश दिया है कि, यूजीसी विश्वविद्यालयों द्वारा महाविद्यालयों को की संबद्धता विनियमन 2009 का पालन किया जाए जिसमें यह प्रावधान है कि यदि कोई महाविद्यालय अनुशासनहीनता में संलिप्त पाया जाए तब उसके विरुद्ध कार्यवाही यूजीसी विश्वविद्यालयों द्वारा महाविद्यालय की संबद्धता विनियमन 2009 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार की जा सकती है परंतु उसमें भी महाविद्यालयों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा।
एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने विश्व विद्यालय को निर्देश दिया कि, शैक्षणिक सत्र 2023-24 से इन कॉलेजों की मान्यता खत्म की जाए। उच्च न्यायालय में स्पष्ट रूप से यह आदेश दिया है कि महाविद्यालयों की संबद्धता को असंबद्ध करने का निर्णय ना तो केंद्र सरकार और ना ही उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा लिया गया यह निर्णय पूरी तरह से उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय की अवहेलना है और निःसंदेह न्यायालय की अवमानना भी है
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि से दस सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों को असंबद्ध करने से शैक्षणिक व्यवस्था चरमरा गई है। जिससे हजारों छात्रों का भविष्य अधर में फंस गया है। एग्जीक्यूटिव काउंसिल के तुगलकी फरमान से प्रभावित छात्रों, कालेज प्रशासन एडवोकेट्स बार एसोसिएशन एवं अभिभावकों में भारी आक्रोश है।
श्री खंडूरी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की उपरोक्त दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों की संबद्धता सेंट्रल यूनिवर्सिटी से समाप्त किए जाने की संस्तुति को छात्रहित में निरस्त कर पूर्व की व्यवस्था को जारी रखने का अनुरोध किया है।
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