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विलुप्त होते दून के सिनेमा जहां कभी लंबी लाइनें लगा करती थी पर अब वह दौर कहा

अलविदा पायल…।
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News by- ध्यानी टाइम्स रवि ध्यानी

देहरादून – गांधी पार्क के ठीक सामने संकरी सी गली में 1980 के दशक की शुरुआत में जब पायल सिनेमा का जन्म हुआ तो यह क्षेत्र रौनक से भर उठा। कुछ कदम आगे छायादीप पहले से ही था।

ये वो वक्त था जब देहरादून शहर में 13 सिनेमा हॉल थे। 90 के दशक का मध्य आते-आते ओडियन, कैपरी, फिल्मिस्तान, लक्ष्मीटाकीज सिनेमा हॉल बंद हो चुके थे

फिर भी पायल जैसे कई सिनेमा हॉल का जलवा बरकरार रहा। लेकिन, हाल के कुछ वर्षों में शहर में सिनेमा हॉल की मौत का सिलसिला तेज हो गया और अब पायल का नामो-निशान मिटने जा रहा है।

सिंगल स्क्रीन सिनेमा की जगह मल्टीप्लेक्स ने ले ली है। वे भीड़ से गुलजार भी हो रहे हैं, लेकिन मल्टीप्लेक्स में सिनेमा देखने वाली पीढ़ी उस रोमांच को कभी महसूस नहीं कर सकती,

जो इन सिंगल स्क्रीन सिनेमा के दौर में मिलता था। जब इन सिनेमा हॉल की खिड़की के आगे सुबह 7- 8 बजे से ही टिकट के लिए लाइन लगती थीं।

जब 10-11 बजे खिड़की खुलने पर धक्का-मुक्की होती और युवा गुटों में बेल्टें चलती, तो सुबह से लाइन में सबसे आगे लगे सीधे – साधे लोग अक्सर इस माहौल में खुद को बचाने के चक्कर में लाइन से बाहर और टिकट से वंचित हो जाया करते थे पर अब वह दौर कहां  …..

अलविदा पायल…।
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