पूर्व मुख्यमंत्री हरदा चल दिए दिल्ली, 2024 में फिर लौटेंगे
News by- ध्यानी टाइम्स रवि ध्यानी
उत्तराखंड में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश की राजनीति का मोह छोड़ दिया है। पार्टी की कमान अब नई पीढ़ी के पास है और पिछले कुछ महीनों से साफ दिख रहा था कि वह संगठन के साथ कदमताल नहीं कर पा रहे। इंटरनेट मीडिया में एक इमोशनल पोस्ट कर हरदा ने जो लिखा, उसका सार यह था कि अब वह प्रदेश की राजनीति से विश्राम लेकर दिल्ली में सक्रिय रहेंगे।
वैसे वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी उन्हें हाईकमान ने केंद्रीय संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंप पहले असम, फिर पंजाब का प्रभारी बनाया। इस वर्ष की शुरुआत में उन्होंने हाईकमान से अनुमति लेकर उत्तराखंड का रुख किया और कांग्रेस चुनाव अभियान का नेतृत्व करते नजर आए, लेकिन हार का सिलसिला कहां पीछा छोडऩे वाला। मतलब, फिलहाल दिल्ली में राजनीति और वर्ष 2024 के चुनाव से पहले घरवापसी तय।
चश्मा जरूर पहना है, लेकिन नजर नहीं कमजोर
हरदा के दिल्ली की राह पकड़ते ही कांग्रेस की अंदरूनी कलह चरम पर पहुंच गई है। पार्टी यूं तो पहले से ही कई धड़ों में बंटी है, लेकिन अब पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा आमने-सामने आ गए हैं। प्रीतम ने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर उत्तराखंड से गायब रहने का तंज कसा, तो माहरा ने पलटवार कर दिया। बोले, विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश प्रभारी तीन बार यहां आए, लेकिन उनकी बैठकों में प्रीतम नहीं पहुंचे।
हरिद्वार पंचायत चुनाव को लेकर दिल्ली में हुई बैठक से भी वह नदारद रहे। माहरा आगे बोले कि जिन व्यक्तियों ने चश्मा ही ऐसा पहन लिया है कि प्रभारी नहीं दिखाई देते, उनके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। प्रीतम का भी तुरंत जवाब आया कि वह चश्मा जरूर पहनते हैं, लेकिन उनकी नजर कमजोर नहीं है। विषम परिस्थितियों में जब सेनापति गायब रहेगा तो पार्टी कैसे संभलेगी।