Big breaking:-आचार संहिता से पहले राज्य सरकार के सरकारी सेवकों के लिए लागू एम.ए.सी.पी. की व्यवस्था के सम्बनध में नया आदेश जारी
News by – ध्यानी टाइम्स रवि ध्यानी
राज्य सरकार के सरकारी सेवकों के लिए लागू एम.ए.सी.पी. की व्यवस्था के सम्बनध में नया आदेश जारी हुआ है
उपर्युक्त विषयक शासनादेश संख्या- 11/XXVII ( 7 )30-14/2017 दिनांक 17 फरवरी, 2017 सपठित शासनादेश संख्या- 65/XXVII (7)/18-50(09)/2018 दिनांक 09 मार्च, 2019 का कृपया सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें। उक्त शासनादेश संख्या- 11 दिनांक 17 फरवरी, 2017 के संलग्नक के बिन्दु संख्या – 17 में निम्नवत् व्यवस्था उपबन्धित है:
“उपर्युक्त अपग्रेडेशन उपयुक्तता के आधार पर अनुमन्य होगा वेतन मैट्रिक्स के स्तर-1 से स्तर-5 तक के पद सोपान के लिए वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों ‘उत्तम’ और इसके पश्चात् के स्तरों के लिए अति उत्तम’ के आधार पर वित्तीय स्तरोन्नयन अनुमन्य किया जायेगा। प्रत्येक वित्तीय स्तरोन्नयन की अनुमन्यता के समय पिछले 10 वर्षों की वार्षिक गोपनीय प्राविष्टियों देखी जायेंगी”
2. उक्त के सम्बन्ध में शासन द्वारा सम्यक् विचारोपरान्त लिये गये निर्णय के कम में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि वित्तीय स्तरोन्नयन की अनुमन्यता के लिए वेतन मैट्रिक्स के स्तर-5 के पश्चात के वेतन स्तरों के लिये भी वार्षिक प्रविष्टि का मानक “अति उत्तम ” के स्थान पर “उत्तम” रखा जाय।
3. वित्तीय स्तरोन्नयन की अनुमन्यता हेतु अर्हकारी सेवा की गणना के लिए एम.ए.सी.पी. की देयता की तिथि से पीछे की 05 वर्षों की ‘उत्तम’ वार्षिक प्रविष्टियां देखी जायेगी। सेवा में यदि किसी वर्ष की वार्षिक प्रविष्टी मानक से न्यून हो तो उस वर्ष को अर्हता हेतु गणना में सम्मिलित नहीं किया जायेगा। ऐसी दशा में एम.ए.सी.पी. की देयता की तिथि से अगले वित्तीय वर्ष / वर्षों की ‘उत्तम वार्षिक प्रविष्टि का मानक पूर्ण होने पर ही वित्तीय स्तरोनयन का लाभ तत्पश्चात् देय होगा।
4. इस व्यवस्था के लागू होने से पूर्व यदि किसी कार्मिक को “अति उत्तम” का मानक पूर्ण न करने के कारण एम.ए.सी.पी. का लाभ अनुमन्य नहीं किया गया है तो ऐसे प्रकरण में भी “उत्तम” वार्षिक प्रविष्टि का मानक पूर्ण करने पर ही एम.ए.सी.पी. का लाभ शासनादेश लागू होने के दिनांक से अनुमन्य होगा। कृपया तदनुसार कार्यवाही करने का कष्ट करें।
5. यह व्यवस्था दिनांक 01-01-2022 से लागू होगी।
6. 7. उक्त तिथि से पूर्व के प्रकरण पुनरोद्घटित (Re-Open) नहीं किये जायेंगे। शासनादेश संख्या- 11/XXVII (7)30-14/2017 दिनांक 17 फरवरी, 2019 सपठित शासनादेश संख्या- 65/XXVII(7)18-50(09)/2018 दिनांक 09 मार्च, 2019 को उक्त सीमा तक संशोधित समझा जाय। शेष शर्ते यथावत् लागू रहेंगी