एनएसयूआई ने की ऊर्जा निगम में सीधी भर्ती एवं पदोन्नति में हुए घोटालों एके सिंह के खिलाफ एसआईटी जांच की मांग
- इंटरव्यू में फेल होने के बाद बनाये गए निदेशक (मा0सं0) प्रभारी
- एके सिंह का निर्णय बना सरकार की गले की फांस
देहरादून। प्रदेश सरकार में ऊर्जा निगम में सीधी भर्ती एवं पदोन्नति में हुए घोटालों में एके सिंह, प्रभारी निदेशक मानव संसाधन को एनएसयूआई ने तत्काल निलम्बित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 3 के तहत एफआईआर दर्ज कराकर इन दोनों सीधी भर्ती एवं पदोन्नति के महाघोटालों की एसआईटी जॉच कराने की मांग की है। वहीं एनएसयूआई की ओर से राजधानी देहरादून में एके सिंह का पुतला दहन किया जाएगा। निदेशक परिचालन के इंटरव्यू में फेल होने के बाद निदेशक (मा0सं0) प्रभारी बनाये गए। एके सिंह उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि. की ओर से सहायक अभियन्ता, लेखाधिकारी, कार्मिक अधिकारी, विधि अधिकारी, औद्योगिक अभियन्ताओं के साक्षात्कार के लिए नियमों को ताक पर रखकर बनायी गयी चयन समिति पर कई सवाल खडे हो गये हैं। सरकार एक ओर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, वहीं अपने भ्रष्टाचारी अधिकारी को क्यूं बचाने का काम कर रही है। उसे अभी तक क्यों नहीं सस्पेंड किया गया है। एकेसिंह पहले निदेशक परिचालन के साक्षात्कार में फेल हो गये थे, इसीलिए उन्होंने अवर अभियन्ता एवं सहायक लेखाकार की विभागीय परीक्षा में पहले फेल होने वालों के लिए अपनी तरह दोबार मौका देते हुए दोबारा परीक्षा आयोजित कराकर सबको पास कर दिया गया। ऊर्जा निगमों एवं देहरादून जिले में आम चर्चा का विषय बन गया है कि ‘‘खाता न वही, एके सिंह जो कहे-वही सही’’ लेकिन एके सिंह का यह निर्णय सरकार की गले की फांस बन गया है। अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के माध्यम से आयोजित सहायक लेखाकार की सीधी भर्ती का प्रश्न-पत्र भी कठिन था जिसे निरस्त करने के लिए बेरोजगार धरने पर बैठे हुए हैं। सीधी भर्ती में हुए घोटाले की एसआईटी जॉच के लिए यह छः सर्वश्रेष्ठ सटीक प्रश्न हैं इनका जबाब सरकार एवं एमडी यूपीसीएल को प्रदेश के बेराजगारों को देना ही पडेगा कि-
प्रश्न स0-1ः साक्षात्कार कमेटी में जब सतीश शाह, निदेशक परियोजना (प्रभारी) अनुसूचित जाति के उपलब्ध थे तो फिर ओएनजीसी के सेवानिवृत्त अधिकारी को सदस्य क्यों और किन नियमों के तहत रखा गया है?
प्रश्न सं0-2ः यदि आरक्षित वर्ग के साथ सहानुभूति दर्षानी थी तो फिर अनुसूचित जनजाति का सदस्य क्यों नहीं रखा गया?
प्रश्न सं0-3ः इसी प्रकार अन्य पिछडा वर्ग का सदस्य क्यों नहीं रखा गया?
प्रश्न सं0-4ः वाह्य विषय विशेषज्ञ के रूप में यूपीसीएल के सेवानिवृत्त मुख्य अभियन्ता सीपी शर्मा को सदस्य क्यों नामित किया गया ? जबकि यूजेवीएनएल में निदेशक परिचालन एवं निदेशक परियोजना कार्यरत हैं। इसी प्रकार पिटकुल में भी निदेशक परिचालन कार्यरत थे? देहरादून में ही सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग, जल निगम-जल संस्थान से भी किसी मुख्य अभियन्ता को वाह्य विषय विशेषज्ञ के रूप में लिया जा सकता था जिससे निष्पक्ष एवं दबाब रहित चयन हो पाता?
इससे यह संदेह पैदा होता है कि दूसरे निगमों में निदेशक स्तर के अधिकारी होते हुए भी उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0 के ही एक सेवानिवृत्त छोटे अधिकारी को इसलिए लिया गया कि जिससे साक्षात्कार में कम-ज्यादा अंक देने का खेल मनमर्जी से खेला जा सके। यह नियम विरूद्ध निर्णय भ्रष्टार का प्रतीक है तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनिमय के अर्न्तगत आच्छादित है, जिसका तत्काल संज्ञान लेकर एफआईआर दर्ज करायी जाए।
प्रश्न सं0ः5ः चयन समिति में अनुसूचित जाति के दो सदस्य होने से साक्षात्कार में सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में कम अंक क्यों दिये गये? इसकी जॉच करायी जाय?
प्रश्न सं0-6ः अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के माध्य से आयोजित सहायक लेखाकार की सीधी भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र उच्च स्तर/ कठिन था। यूपीसीएल के सहायक लेखाकार एवं अवर अभियन्ता की पहली परीक्षा को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि प्रश्न-पत्र उच्च स्तर/कठिन था, जिस कारण दोबार परीक्षा कराकर सबको पास कर दिया गया तो फिर सीधी भर्ती के सहायक लेखाकार की परीक्षा को भी निरस्त किया जाय। दोहरे मापदण्ड क्यों? सीधी भर्ती द्वारा नियुक्ति एवं विभागीय परीक्षा द्वारा पदोन्नति के इन घोटालों के साथ-साथ क्रियेट कम्पनी के साथ मिलकर उपभोक्ताओं को 72 करोड का चूना लगाने, दोषियों को मोटी रकम लेकर पदोन्नति देने एवं निलम्बित अधिकारियों को भी मलाईदार पदों पर मलाई खाकर तैनात करने की भी जॉच की आवश्यकता बतायी जा रही है। सीधी भर्ती एवं पदोन्नति के महाघोटालों की एसआईटी जॉच की मांग को लेकर एनएसयूआई के आदित्य बिष्ट, अंकित बिष्ट, गौरव रावत, लड्डू, मयंक, हरीश, पकंज, महेंद्र व अंकित नौटियाल आदि शामिल रहें।