मुख्यमंत्री धामी बता चुके हैं कि ऊधम सिंह नगर में भू-उपयोग के 41 प्रकरणों में उल्लंघन हुआ। यहां 599 भू-उपयोग उल्लंघन के प्रकरण थे। 16 प्रकरणों में वाद का निस्तारण करते हुए 9.4760 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार में निहित कर दी गई। यह कार्यवाही अभी जारी है। अब राजस्व परिषद और जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर पोर्टल को अपडेट कर रही है।
प्रदेश में भू-कानून के क्रियान्वयन में ढिलाई और लचीले प्रविधानों के कारण भूमि की अवैध खरीद-बिक्री और फर्जीवाड़े पकड़े गए। सरकार की ओर से कराई गई जांच में भू-उपयोग के 599 प्रकरणों में कानून का उल्लंघन पाया गया। इनमें से 572 प्रकरणों में न्यायालय में वाद दायर किए जा चुके हैं। नए भू-कानून से राज्य में असली निवेशकों और भूमाफिया के बीच का अंतर मिटाने में सहायता मिलेगी।
प्रदेश में पुराने भू-कानून के उल्लंघन की शिकायतें बड़े पैमाने पर मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दिए थे। जांच के बाद सामने आया कि प्रदेश में औद्योगिक, पर्यटन, शैक्षणिक, स्वास्थ्य तथा कृषि एवं औद्यानिक समेत विभिन्न प्रयोजन के लिए सरकार और जिलाधिकारी के स्तर से कुल 1883 भूमि क्रय करने की अनुमति दी गई।
देहरादून में उल्लंघन के 266 प्रकरण सामने आए। हरिद्वार में 39 प्रकरण में उल्लंघन हुआ। नैनीताल जिले में 157 प्रकरणों में अनुमति, जबकि 95 में उल्लंघन हुआ। अल्मोड़ा जिले में 111 अनुमति दी गई। उल्लंघन के 40 प्रकरण आए। पौड़ी में 78 में से 67 में उल्लंघन हुआ है। 59 में वाद, जबकि आठ को निरस्त किया गया है।
राज्य में विकास कार्यों के लिए भूमि की कमी महसूस की जा रही है। ऐसे में अवैध ढंग से खरीद-बिक्री से जनता में रोष बढ़ा। राज्य के कुल क्षेत्रफल का 71 प्रतिशत से ज्यादा वन क्षेत्र है। इसमें भी मैदानी भू-भाग की हिस्सेदारी मात्र 13.92 प्रतिशत है। 86 प्रतिशत से अधिक भू-भाग पर्वतीय है। इसमें भी आरक्षित वन क्षेत्र, वन्यजीव अभ्यारण्यों से लेकर तमाम पर्यावरणीय बंदिशों के कारण उपयोगी भूमि का सीमित क्षेत्रफल है।