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अमेरिकी सांसदों ने कहा- अफगानिस्तान में पैदा हुए शून्य का फायदा लेकर तालिबान के साथ चीन अपने संबंधों को बढ़ाना चाहता है

वाशिंगटन, अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा कि अब अफगानिस्तान का वास्तविक शासक तालिबान कहीं पाकिस्तान को अस्थिर न कर दे और उसके परमाणु हथियार न हासिल कर ले। उन्होंने कहा कि बाइडन को कठिन सवालों के जवाब देने होंगे। वह बताएं अफगानिस्तान में क्या हुआ और उनकी आगे की योजना क्या है?

अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा के 68 सांसदों ने बुधवार को बाइडन को पत्र लिखकर पूछा कि अगर अफगानिस्तानी सीमाओं पर तालिबान सेना बढ़ा देता है तो क्या क्षेत्रीय सहयोगियों की सेना को समर्थन देने के लिए वह तैयार रहेंगे। साथ ही यह पूछा कि तालिबान परमाणु हथियार संपन्न पाकिस्तान को अस्थिर नहीं करने देने के लिए आपके पास क्या योजना है? क्या आपके पास यह सुनिश्चित करने के लिए कोई योजना है कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान परमाणु संपन्न देश नहीं बनेगा?

पिछले हफ्तों के घटनाक्रमों पर सांसदों ने कहा कि पूरी दुनिया ने स्तब्ध होकर देखा कि तालिबान ने कैसे चुटकियों में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। यह उस गलती का नतीजा है जिसमें अफगानिस्तान को एकदम से सेना विहीन कर दिया गया और मुख्य सैन्य बल के बहुत छोटे से हिस्से को ही अफगानिस्तान में आखिर तक रखा गया। अमेरिकी अफसरों और अफगान सहयोगियों को भी वहां से निकालने में अत्यधिक देरी की गई है। इतना ही नहीं, चीन भी अब तालिबान से संबंध मजबूत करने में जुट गया है।

इन सब गतिरोधों का सामना करते हुए अमेरिकी रणनीति क्या है? सांसदों ने पूछा कि बाइडन सरकार अब अमेरिका को आगे बढ़ाने की क्या योजना बना रही है? उनको यह भी स्पष्ट करना है क्या अमेरिकी सेना से नियंत्रण अपने कब्जे में लेने के बाद अफगान वायुसेना की कमान तालिबान के हाथों में रहेगी? अगर ऐसा है तो उस वायुसेना को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है जिसकी कमान अब तालिबान के हाथों में होगी। आप उन अमेरिकी सैन्य हथियारों को कैसे वापस हासिल करेंगे जो तालिबान के हाथ पहले ही लग चुके हैं।

दूसरी ओर, कैपिटल हिल की प्रेस कांफ्रेंस में रिपब्लिकन सांसद मैककार्थी ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिका के परंपरागत दोस्तों और सहयोगियों के खिलाफ तालिबान का पक्ष लिया है। बाइडन प्रशासन की तालिबान नीति धज्जियां उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने वैश्विक मंच पर अमेरिका की प्रतिष्ठा की धज्जियां उड़ा दी हैं। ऐसा कोई एक हफ्ते के लिए नहीं हुआ है। बल्कि इससे उबरने में दशकों लगेंगे। अब हमारे सहयोगी हमारी आलोचना कर रहे हैं।

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